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ओरोविल की स्थापना श्री ऑरोबिन्दो सोसाइटी की एक परियोजना के रूप में बुधवार 28 फ़रवरी 1968 को "मां" मीरा अल्फासा द्वारा की गयी। वे श्री अरविन्द घोष की बराबर की आध्यात्मिक सहयोगी थी, जिनका मानना था कि "मनुष्य एक परिवर्ती जीव है"। मां की अपेक्षा थी कि यह प्रायोगिक "वैश्विक नगरी सद्भावनापूर्ण और एक बेहतर दुनिया की आकांक्षा वाले लोगों को एकजुट करते हुए शानदार भविष्य की ओर मानवता के विकास" में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। मां का यह भी मानना था कि ऐसी एक वैश्विक नगरी भारतीय पुनर्जागरण में निर्णायक योगदान देगी (सन्दर्भ मदर्स एजेंडा, Vol.9, दिनांक-3.02.68)। भारत सरकार ने इस नगरी का समर्थन किया और 1966 में युनेस्को ने भी सदस्य देशों को ओरोविल के विकास में योगदान देने का आह्वान करते हुए इसका समर्थन किया। पिछले 40 वर्षों की अवधि में युनेस्को ने ओरोविल को और चार बार समर्थन दिया।